भारत और चीन दो ऐसे देश जो दुनिया में शायद आने वाले समय में अमेरिका को पीछे छोड़ देंगे। ये वो देश है जो सबसे तेजी से विकास कर रहे है और लगभग पूरी दुनिया ही दो देशो पर निर्भर होती जा रही है ये दो देश ऐसी महाशक्ति है जिनसे अब कोई भी देश दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता क्युकी दोनों ही आर्थिक, डिफेन्स, मेडिकल, टेक्नोलॉजी आदि के मामले में दो महाशक्तियों के रूप में उभर रहे है। लेकिन पिछले साल २०२० में इन् दोनों देशो की दिशा और उद्देश्य दोनों ही बदल गए है एशिया की दो महाशक्तियां अब युद्ध के मुहाने पर खड़ी हैं। गोला बारूद इक्कट्ठा हो रहा है तोपे सजा दी गयी है गरजते फाइटर जेट्स से वादियां गूँज रहे है दोनों ही देश की सेना को आदेश है की किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहे। सरहदों की ठंडी हवा में जबरदस्त गर्मी है भयकर मात्रा में दोनों तरफ सैनिक एक दुसरे की तरफ बन्दूक ताने खड़े है भयंकर युद्ध के बादल मंडरा रहे है।
लेकिन क्यों आखिर आईये जानते है...
पिछले साल २०२० में चीन से महामारी फ़ैल गयी रिपोर्ट्स बताती है की चीन से ही ये महामारी फैली और इसे जानबूझ कर चीन ने फैलने दिया जिससे चीन तो उभर गया लेकिन अन्य देशो को आर्थिक और मेडिकल स्तर पर भयंकर परिणाम झेलने पड़े और चीन ने इसका जबरदस्त फायदा उठाया। लेकिन चीन पर वैश्विक स्तर पर दबाव बनने लगा वैसे भी चीन सालो से अमेरिका को देखते हुए लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाता जा रहा था। जब ये वैश्विक दबाव ज्यादा बढ़ने लगा तो चीन ने दुनिया का ध्यान हटाने के लिए साउथ चाइना सी और लद्दाख की और अपनी सेना भेज एक कोल्ड वॉर की शुरुआत कर दी जिसका सीधा असर भारत और ताइवान की सरहदों तक सीमित न रहकर अन्य देशो तक पहुंच गया। लेकिन चीन को जबरदस्त झटका मिला भारत से अक्सर शांत रहने वाले इस देश ने चीन की हरकतों पर आक्रामक रुख अख्तियार किया और सरहदों पर बराबर की सेनाएं और हथियार तैनात कर दिए चीन को इसकी उम्मीद बिलकुल नहीं थी और वो बौखला गया जिसका परिणाम यह हुआ की १६ जून २०२० की सर्द पहाड़ी हवाओं में खून की महक समां गयी और १९६२ के बाद भारत चीन के बीच भयकर खुनी सैन्य संघर्ष हुआ जिसमे भारत के लगभग २० जवान शहीद हुए और ८० से ज्यादा घायल हो गए वही चीन ने तो अपने सैनिको की संख्या नहीं बताई पर इसका खुलासा तब हुआ जब अमेरिका की रिपोर्ट सामने आयी और बताया गया की चीन को भी भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा है उसके लगभग ४५ से ५० जवान मारे गए और लगभग १५० से २०० सैनिक घायल हुए थे। दोनों तरफ जबरदस्त तनाव बढ़ गया सम्बन्ध इतने खराब हो गए की दोनों देश आर्थिक तौर पर भी एक युद्ध छेड़ दिया भारत की तरफ से चीन के कई ऐप्प बंद कर दिए गए कॉट्रैक्ट कैंसल कर दिए गए। बयानों का दौर जारी हो गया जुबानी जुंग तेज हो गयी। भारी मात्रा में गोला बारूद राशन और कई दिनों तक जंग के लिए साजो सामान इक्कठा किया जाने लगा। एक्सपर्ट और रिपोर्ट्स के मुताबिक़ हालात इतने खराब थे की कभी भी युद्ध छिड़ सकता था क्युकी अबकी बार भारत भी समझौते के मूड में नहीं था। अमेरिका, रूस सहित कई देशो ने शांति की अपील की लेकिन ज़मीनी हालात बहुत खराब थे इन् सबके बीच आग में घी का काम किया पाकिस्तान ने उसने शांति की अपील तो की लेकिन पीठ पीछे अपने सैनिकों को LAC पर चीन की सहायता के लिए भेज दिया और उधर LOC पर पाकिस्तान की और से जबरदस्त सैनिक गतिविधियां बढ़ने लगी। भारत को अब तक यकीन हो चला था की अगर चीन से युद्ध हुआ तो उसे सिर्फ चीन ही नहीं पाकिस्तान से भी युद्ध लड़ना पड़ेगा जिसके तहत भारत ने अपनी नीति में 'TWO FRONT WAR' की कंडीशन को जोड़ दिया और LOC की तरफ भी अपने सैनिक गोला बारूद रवाना कर दिया। तेजी से बदलते इस घटनाक्रम और हालात में भारत सरकार ने इमरजेंसी बेसिस पर भरी भरकम बजट आर्मी को इमरजेंसी हथियार खरीद के लिए दे दिया। बड़े देशो के दबाव और चीन की खुद की रिपोर्ट ने इस सरगर्मी में थोड़ी नरमी ला दी जिसमे कहा गया था की भारत के पास लगभग १५००० ब्रह्मोस का जखीरा मौजूद है। दूसरा भारत का रुख भी चीन के समझ के परे होता जा रहा था चीन की बेचैनी का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते है की उनके विदेश मंत्री दिभर में तीन तीन ब्यान जारी करते थे और उनका सरकारी मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स लगातार भारत को धमकी देता जा रहा था। भारत ने अपने अत्याधुनिक हथियार गोला बारूद LAC में लगा दिए इमरजेंसी बेसिस पर राफेल भी आ गये और लद्दाख की पहाड़ियों में भारत के फाइटर जेट्स गरजने लगे उधर भारतीय सेना ने पांगोंग त्सो इलाके में फॉरवर्ड पोस्ट पर कब्ज़ा कर लिया जिससे चीन ने बातचीत की टेबल पर आना ही सही समझा क्युकी वो जनता था की भारत से सीधी टक्कर लेना बहुत नुकसानदेह हो सकता है।
अब हालात क्या है?
अभी भी हालात में ज्यादा सुधार नहीं देखने को मिला है डिस इंगेजमेंट की प्रक्रिया आरम्भ तो हुई पर वो सिर्फ भारतीय सेना की डोमिनेटिंग पॉइंट पांगोंग त्सो तक ही सिमट कर रह गयी यानि की पांगोंग सो में डिस इंगेजमेंट हुई जहाँ पर भारतीय सेना फॉरवर्ड पोस्ट पर काबिज़ थी लेकिन बाकि के पॉइंट्स पर अभी भी दोनों सेनाएं आमने सामने खड़ी हैं। जो चीन के दोहरे चरित्र को दर्शाता है। २०२१ की गर्मी आते आते फिर से युद्ध के तनाव को महसूस किया जा सकता है क्युकी चीन और पाकिस्तान ने हाल ही में LAC सटे इलाकों में बड़े युद्धाभ्यास को अंजाम दिया है। उधर पाकिस्तान ने LOC के करीब अपने गावों को खाली करा दिया है और साथ ही साथ भरी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए है। इधर भारत भी कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं भारतीय सेना भी फॉरवर्ड पोस्ट पर अपने अत्याधुनिक हथियार तैनात कर चुकी है, भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट्स फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात है।
क्या युद्ध होगा?
देखिये आज के समय में कोई भी समझदार देश युद्ध नहीं करना चाहेगा लेकिन चीन की सोच हमेशा से विस्तारवादी रही है चाहे वो अक्साई चीन हो तिब्बत हो या फिर नेपाल, भूटान, ताइवान चीन हर तरफ अपनी पहुंच बनाना चाहता है ताकि वह व्यापारिक दृष्टिकोण और वैश्विक स्तर पर अपने आपको महाशक्ति के रूप में दिखा सके। जिसकी सबसे बड़ी चुनौती भारत है क्युकी भारत भी उभरती हुई महाशक्तिओं में से एक है इसलिए वह भारत को घेरने की कोशिश करता रहता है दूसरा वुहान से फैली महामारी से हुई उसकी फजीहत पर लीपा पोती करने का उसको यही एक तरीका सूझ रहा है।
आपको क्या लगता है कमेंट में जरूर बताएं।
Comments
Post a Comment
If you have related query for any one of my description. Please let me know. Thank You.